| शब्द का अर्थ | 
					
				| धोर 					 : | पुं० [?] किनारा। तट। उदा०—अंड को धोर ह्याँ ते रहाई।—कबीर। अव्य०=धौरे (पास)। | 
			
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				| धोर 					 : | वि० [स्त्री० धोरी]=धौरी (धवल या सफेद)।a | 
			
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				| धोरण 					 : | पुं० [सं०√धोर् (गति)+ल्युट्—अन] १. सवारी। २. घोड़े की सरपट चाल। ३. दौड़। ४. कार्य करने का ढंग या नीति। (महाराष्ट्र) | 
			
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				| धोरणि 					 : | स्त्री० [सं०√धोर्+नि]१. श्रृंखला। २. श्रेणी। ३. परंपरा। | 
			
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				| धोरित 					 : | पुं० [सं०√सं० धोर्+क्त] १. गमन। चाल। २. घोड़े की दुलकी चाल। | 
			
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				| धोरी 					 : | वि० [हिं० धुरा ?] धुरा अर्थात मूल भार सँभालनेवाला। २. प्रधान। मुख्य। पुं० १. वह जो स्वामी के रुप में पूरी तरह से देख-भाल, रक्षण आदि करता हो। जैसे—इस मकान का कोई धनी-धोरी नहीं है। उदा०—काहू को सरन है, कुबेर ऐसे धोरी को।—हठी। २. वह जो निरंतर कोई विशेष काम करता रहता हो। जैसे—धंधक-धोरी। ३. श्रेष्ठ व्यक्ति। ४. नेता। ५. बैल। | 
			
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				| धोरे 					 : | अव्य० [सं० धार=किनारा] निकट। पास। समीप। | 
			
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